Shyama Prasad Mukherjee Biography in Hindi

श्यामा प्रसाद मुख़र्जी भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर थे जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में सप्लाई एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर के रूप में कार्य किया। लियाकत-नेहरू पैक्ट के विरोध के दौरान नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मदद से भारतीय जन संघ बनाया जो बाद में भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानी जाती है। वर्ष 1943 से 1946 तक अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के प्रेसिडेंट रहे। क्यूंकि ये भारतीय जन संघ के फाउंडर थे इसलिए इन्हे ही भारतीय जनता पार्टी का संस्थापक माना जाता है।

शुरूआती जीवन

श्यामा प्रसाद मुख़र्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता में हुआ था। इनका परिवार मूल रूप से पश्चिम बंगाल के जिरात से सम्बंधित था। इनके दादा गंगा प्रसाद मुख़र्जी का जन्म वही हुआ था वो आके कलकत्ता में रहने लगे। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की माँ का नाम जोगमाया मुख़र्जी और पिता का नाम आशुतोष मुख़र्जी था जो कलकत्ता हाईकोर्ट के जज थे तथा कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर भी रहे थे। वह मेधावी छात्र थे तथा जिरात के धनी लोगो की मदद से मेडिकल कॉलेज में अध्ययन किया।

वर्ष 1914 में 10वीं पास कर प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन ले लिया। वर्ष 1916 में 17 के उम्र में 12वीं पास कर लिया। वर्ष 1921 में इन्होने अपनी  ग्रेजुएशन पूरी कर ली। वर्ष 1923 में सीनेट के सदस्य भी बने तथा वर्ष 1924 में इन्होने अपनी लॉ की डिग्री प्राप्त की। 26 जनवरी वर्ष 1938 में इन्होने डी.लिट्ट की डिग्री प्राप्त की।

Shyama Prasad Mukherjee Biography in Hindi

नाम  श्यामा प्रसाद मुख़र्जी
जन्म  6 जुलाई 1901
जन्मस्थान  पश्चिम बंगाल
माता  जोगमाया मुख़र्जी
पिता  आशुतोष मुख़र्जी
पत्नी  सुधा देवी
बच्चे  दो पुत्र तथा दो पुत्रियां
प्रोफेशन  भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर
मृत्यु  23 जून 1953

राजनीतिक करियर

इन्होने अपना राजनीतिक करियर वर्ष 1929 में शुरू किया। बंगाल लेजिस्लेटिव कॉउन्सिल में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस का कैंडिडेट बनकर कलकत्ता यूनिवर्सिटी को रिप्रेजेंट किया। वर्ष 1937 में वह चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुने गए। जिससे कृषक प्रजा पार्टी सत्ता में आयी। वर्ष 1941-1942 में इन्होने बंगाल प्रोविंस के वित्त मंत्री बने थे। नवम्बर वर्ष 1942 में ब्रिटिश सरकार पर आरोप लगते हुए। भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ होने वाले दमनकारी कार्यवाही का विरोध किया। उसके बाद उन्होंने महाबोधि समाज, रामकृष्ण मिशन और मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी की मदद से रिलीफ फंड्स जुटाए। वर्ष 1946 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से स्वतंत्र कैंडिडेट चुने गए।

स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंतरिम केंद्र सरकार में इनको इंडस्ट्री और सप्लाई मिनिस्टर बनाया। महात्मा गाँधी के हत्या के बाद इनकी महासभा से दूरियां बढ़ने लगी। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने उनकी राजनितिक गतिविधियों को ससपेंड करने का संगठन को सुझाव दिया। 21 अक्टूबर वर्ष 1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ बनाया तथा उसके पहले अध्यक्ष बने। वर्ष 1952 के इलेक्शन में भारतीय जनसंघ (BJS) ने तीन सीट पर जीत हासिल की। इनके 32 मेंबर लोकसभा तथा 10 मेंबर राज्यसभा में होने के बावजूद स्पीकर ने इन्हे ओप्पोसिशन पार्टी की पहचान नहीं दी। भारतीय जनसंघ वैचारिक रूप से RSS तथा व्यापक रूप से हिन्दू राष्ट्रवाद की प्रस्तावक मानी जाती थी। इन्होने जम्मू कश्मीर मुद्दे को लेकर आर्टिकल 370 का खुलकर विरोध किया और इसको भारतीय एकता के लिए खतरा माना। इन्होने कहा था “एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। आर्टिकल 370 हटवाना श्यामा प्रसाद मुख़र्जी का सपना था। जोकि 5 अगस्त वर्ष 2019 को पूरा हुआ।

हिन्दू महासभा

वर्ष 1939 में श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने बंगाल में हिन्दू महासभा से जुड़े तथा उसी साल हिन्दू महासभा कार्यवाहक अध्यक्ष बने। वर्ष 1940 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने। वर्ष 1941 में इन्होने हिन्दू रैली में यह कहा था की “अगर मुस्लिम पाकिस्तान रहना चाहते है तो वे अपना बोरिया बिस्तर बांधकर इंडिया छोड़ सकते है जैसे वे चाहे”। 1943 मे मुख़र्जी अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने। मुख़र्जी वर्ष 1946 तक इस पोस्ट पर कार्यरत रहे।

व्यक्तिगत जीवन

श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के तीन भाई रमा प्रसाद, उमा प्रसाद और बमा प्रसाद थे। रमा प्रसाद कलकत्ता हाईकोर्ट के जज, उमा प्रसाद ट्रेवल राइटर बने। इनकी तीन बहने कमला, अमला और रमला थी। इनकी पत्नी का नाम सुधा देवी था शादी के 11 साल बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु के बाद मुख़र्जी ने दोबारा करने से इंकार कर दिया। इनके दो पुत्र तथा दो पुत्रियां थी।

मृत्यु

11 मई 1953 में श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को कश्मीर में जाने के लिए गिरफ्तार किये गए थे। पहले उन्हें सेंट्रल जेल श्रीनगर तथा बाद में उन्हें शहर के कॉटेज में ट्रांसफर कर दिए गए। इनकी तबियत बिगड़ने लगी तथा 19 और 20 के रात में उन्हें पीठ दर्द और ज्यादा ताप महसूस हो रहा था। डॉक्टर ने इन्हे स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन पाउडर लेने की सलाह दी। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने बताया की उनके फैमिली डॉ ने स्ट्रेप्टोमाइसिन उनके बॉडी को सूट नहीं करती पर डॉ ने उन्हें निश्चिन्त किया की यह लाइट डोज है सब ठीक होगा। 22 जून को दिल के आसपास दर्द महसूस हुआ तथा एक दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। वर्ष 2011 में श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की मृत्यु के लिए इन्क्वायरी बैठाई।

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