P. V. Narasimha Rao Biography in Hindi
पी. वी. नरसिम्हा राव का पूरा नाम पामुलापार्थी वेंकट नरसिम्हा राव है। इनका जन्म 28 जून वर्ष 1921 में करीमनगर जिले के वाङ्गरा नामक गांव में हुआ था। ये तेलुगु ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनके पिता का नाम सीताराम राव तथा माता का नाम रुक्मा बाई था, जोकि खेती किसानी का काम करते थे। बाद में जब वह 3 साल के थे तब पामुलापार्थी रंगाराव तथा रुक्मीनम्मा ने उन्हें गोद ले लिया था। वे पी.वी. को वाङ्गरा से भीमदेवरपल्ले मंडल के एक गांव लेकर चले गए।
इनकी प्राथमिक शिक्षा भीमदेवरपल्ले मंडल के कोटकुरु गांव में हुई तथा ग्रेजुएशन ओस्मानिआ यूनिवर्सिटी से अपने एक रिश्तेदार के यहाँ रहकर पूरी की। पी. वी. नरसिम्हा राव ने 1930 में वन्दे मातरम मूवमेंट में भाग लिया था। बाद में उन्होंने हिस्लॉप कॉलेज से अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी की। उन्होंने लॉ डिग्री फेर्गुसन कॉलेज पुणे से पूरी की। वर्ष 1940 में पी. वी. नरसिम्हा राव ने अपने चचेरे भाइयों के साथ मिलकर काकतिया पत्रिका का संपादन किया। पामुलापार्थी सदाशिव राव पी .वी. नरसिम्हा के चचेरे भाई थे। दोनों ने जय-विजय के लेखो में भी योगदान दिया। वर्ष 1968 से 1974 में आंध्र प्रदेश के तेलुगु अकादमी में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
नाम | पी. वी. नरसिम्हा राव |
माता | रुक्मा बाई |
पिता | सीताराम राव |
पत्नी | सत्यांमा |
प्रोफ़ेशन | राजनेता, वकील |
जन्मदिवस | 28 जून 1921 |
मृत्यु | 23 दिसंबर 2004 |
जन्मस्थान | वाङ्गरा |
धर्म | हिन्दू |
राजनीतिक जीवन
पी. वी. नरसिम्हा राव भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे। और स्वतंत्रता के बाद राजनितिक पार्टी INC इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन किया। वर्ष 1957 से 1977 में आंध्र प्रदेश के स्टेट असेंबली में रिप्रेजेन्टेटिव रहे। वर्ष 1971 में आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री चुने गए, उस समय उन्होंने लैंड रिफार्म तथा लैंड सीलिंग एक्ट्स को सख्ती से लागु किया। उन्होंने जय आंध्र मूवमेंट को काउंटर करने के लिए प्रेजिडेंट रूल भी लागु किया था। वर्ष 1991 में पी. वी. नरसिम्हा राव राजनीति से रिटायर होने वाले थे। कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गाँधी के मर्डर होने की वजह से उन्हें वापिस आना पड़ा। वर्ष 1991 के इलेक्शन में कांग्रेस ने ज्यादा सीटें जीतने की वजह से इन्हे प्रधान मंत्री बनने का मौका मिला। नेहरू-गाँधी के परिवार से बाहर पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो 5 सालों तक लगातार अपने पद पर बने रहे , बल्कि वे आंध्र प्रदेश से और दक्षिण भारत से पहले प्रधानमंत्री थे। उनके कैबिनेट में शरद पवार जैसे प्रबल दावेदार थे प्रधानमंत्री पद के लिए। उन्होंने ही मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया था। उन्होंने ही जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए विपक्षी नेता अटल बिहारी बाजपेयी जी को भेजा था। पी. वी. नरसिम्हा राव अलग-अलग राज्यों से चुनाव लड़े और जीते।
बाबरी मस्जिद के दंगे
वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी ने रामजन्मभूमि मामले को राष्ट्रीय राजनीति में उठाया। भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिन्दू परिषद् ने अयोध्या तथा पुरे देश में विरोध किया। वर्ष 1992 में विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद ध्वस्त कर दिया। क्यूंकि वह हिन्दू भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता था। मस्जिद नष्ट करने की वजह से हिन्दू मुस्लिम दंगे शुरू हो गए। सुनवाई और जाँच के बाद पी. वी. नरसिम्हा को दोषमुक्त घोषित कर दिया गया। अफवाहों की वजह से राष्ट्रपति शासन भी लागु हो सकता था।
अलगाव आंदोलनों को कण्ट्रोल करना
पी. वी. नरसिम्हा ने सिख अलगाववादी आंदोलन को सफलता पूर्वक समाप्त कर दिया तथा कश्मीरी अलगाववादी आंदोलन को भी थोड़ा और और बेअसर करने में सक्षम रहे। इनकी सरकार ने पहला एंटी टेररिज्म अधिनियम (TADA ) पेश किया। और इंडियन आर्मी को पाकिस्तानी घुसपैठियों को खत्म करने का निर्देश दिया।
लातूर भूकंप
वर्ष 1993 में प्रबल भूकंप के कारण महाराष्ट्र के लातूर में लगभग 10000 लोग मारे गए तथा सैकड़ो हज़ारो को अपना घर छोड़ना पड़ा। पी. वी. नरसिम्हा राव ने आधुनिक तकनीकी और संसाधनों का उपयोग करके राहत कार्यों का आयोजन तथा आर्थिक पुनर्निर्माण किया।
Nuclear प्रोगाम
अब्दुल कलम ने बताया की पी. वी. नरसिम्हा राव ने नाभिकीय परिक्षण रोकने के लिए कहा क्यूंकि इलेक्शन का परिणाम वैसा नहीं था जैसा उनके हिसाब से होना चाहिए था। 16 मई वर्ष 1996 में बीजेपी के अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बने। राव, अब्दुल कलाम और आर. चिदंबरम अटल जी से मिलने गए ताकि नाभिकीय परिक्षण आसानी से किया जा सके। उनके लगातार प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 1998 में पोखरन नाभिकीय परिक्षण संपन्न हुआ। इन्हे भारतीय परमाणु प्रोग्राम का जनक भी कहा जाता है। अटल बिहारी बाजपेयी ने बताया था की 16 मई 1996 में मेरे प्रधान मंत्री बनने के बाद राव जी ने कहा की बम तैयार था मैंने केवल इसे विस्फोट किया।
व्यक्तिगत जीवन
पी. वी. नरसिम्हा राव जब 10 वर्ष के थे तब ही इनकी शादी सत्यांमा से हो गई थी। जिनकी 1 जुलाई 1970 को मृत्यु हो गई। इनके 3 बेटे तथा 5 बेटियाँ थी। इनके बड़े बेटे पी. वी. रंगाराव कोटला विजय भास्कर रेड्डी के कैबिनेट में शिक्षा मंत्री तथा हन्मकोंडा असेंबली से दो बार MLA रहे। दूसरा बेटा पी. वी. राजेश्वर राव 11वीं लोकसभा में MP रहे। इनके जीवन पर कई सारे लेखकों ने किताबे लिखीं। राजनीती में रहते हुए इन्होने देशहित के लिए अनगिनत काम किये। पी. वी. नरसिम्हा राव की मातृभाषा तेलुगु थी लेकिन इनको इसके अलावा बहुत सारी भारतीय तथा विदेशी भाषाओं का ज्ञान था। वर्ष 2019 में इनके जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म पी.वी.-चेंज विथ कॉन्टिनुइटी बनाई गई।
मृत्यु
9 दिसंबर वर्ष 2004 को पी. वी. नरसिम्हा राव को हार्ट अटैक आने के बाद AIIMS में एडमिट कराया गया जहाँ 14 दिन बाद 83 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। पी. वी. नरसिम्हा राव के बेटे ने मनमोहन सिंह से कहा की उनके परिवार वाले चाहते है की उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में हो क्यूंकि दिल्ली उनकी कर्मभूमि है। लेकिन उनका अंतिम संस्कार हैदराबाद में 24 दिसंबर 1994 को संपन्न हुआ।
अवॉर्ड्स
- प्रतिभा मूर्ति
सितम्बर 2020 में, तेलंगाना असेम्बली ने राव की भारत रत्न से सम्मानित करने के एक प्रस्ताव पारित किया। केंद्र सरकार से हैदराबाद विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले पी. वी. नरसिम्हा राव ने इंडिया-इजराइल के रिश्ते को सुधरने का प्रयास किया था। 29 जनवरी 1992 में प्रधान मंत्री पद पर रहते हुए राव ने इजराइल के TEL-AVIV में पहला भारतीय दूतावास स्थापित करवाया।