HTML क्या है? – HTML in Hindi

HTML क्या है?

एचटीएमएल (HTML) यानी कि हाईपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज। यह एक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जो कि ऑनलाइन दिखने वाले डाक्यूमेंट्स (जैसे कि वेबसाइट्स, वेब पेजेस) को बनाने के काम आती है।

HTML क्या है?

जब भी हम मोज़िला फायरफॉक्स या गूगल क्रोम जैसा कोई भी वेब ब्राउज़र इस्तेमाल करते हैं तो वह जिस भी तरह के फॉर्मेट में दिखाई देता है, वह सारा फॉर्मेट या लुक्स प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के जरिए बनाया जाता है और यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एचटीएमएल होती है। हर वह डॉक्यूमेंट जो हमें ऑनलाइन दिखाई देता है फिर चाहे वह कोई वेब पेज हो, या कोई वेबसाइट हो या ऑनलाइन किसी भी तरह का डाटा यह सभी एचटीएमएल की मदद से बनाए जाते हैं।

लोकल कंप्यूटर्स और डिवाइसेज पर मौजूद डाटा अलग-अलग तरह की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और एप्लीकेशंस की मदद से बनाया जाता है। यहां लोकल कंप्यूटर्स और डिवाइस से हमारा मतलब ऑफलाइन कंप्यूटर से है। यह डाटा सी. सी प्लस प्लस, जावा जेसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में बनाए जाते हैं, पर इन डाक्यूमेंट्स या फाइल्स को ऑनलाइन लेने के लिए एचटीएमएल में बदलना पड़ता है।

साधारण शब्दों में ऑनलाइन प्रोग्रामिंग के लिए एचटीएमएल सबसे ज्यादा काम में आने वाली लैंग्वेज है। एचटीएमएल का आविष्कार नहीं हुआ होता तो इंटरनेट मौजूद होने के बाद भी हम उसे इतने बेहतर और आसान तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि इंटरनेट एक प्लेटफार्म है, जो कम्युनिकेशन की सुविधा प्रदान करता है, पर इस प्लेटफार्म को इस्तेमाल करने के लिए हमारे पास में कुछ खास एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर होने चाहिए और यह सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशंस एचटीएमएल में बनते हैं। तो अगर एचटीएमएल का ही आविष्कार नहीं हुआ होता तो हम इंटरनेट को इतना बेहतर और आसान तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते।

एचटीएमएल के साथ में सीएसएस ( Cascading Style Sheet) और जावास्क्रिप्ट (JavaScript) का इस्तेमाल करने पर इसे और भी ज्यादा बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दोनों भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज टूल है। सीएसएस दरअसल एचटीएमएल कोड्स को और ज्यादा एफिशिएंट बनाता है, ताकि वेब पेज और भी ज्यादा डिजाइनर और आकर्षक बन सके, जबकि जावास्क्रिप्ट जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदद से डवलप की जाती है, जोकि एचटीएमएल कोड में आने वाली कमियों को दूर करने का काम करती है।

एचटीएमएल सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस को एक्सेप्ट नहीं करती है, सिर्फ कुछ सिलेक्टेड लैंग्वेज टूल ही एचटीएमएल के साथ काम कर पाते हैं। हालांकि एचटीएमएल खुद बहुत ही साधारण प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसे समझना काफी आसान है, और अगर आप प्रोग्रामिंग का लॉजिक जनरेट करना जानते हैं, तो प्रोग्रामिंग कोड्स के लिए आपको बुक्स या ऑनलाइन नोट्स मिल जाएंगे। अपने लॉजिक के अनुसार इन कोड्स को यूज करके आप एचटीएमएल लैंग्वेज को आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।

हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज: यहां हाइपरटेक्स्ट से मतलब उस भाषा से है या उस टेक्स्ट से है जो इस लैंग्वेज में लिखी जाती है। यह टेक्स्ट दिखने में बिल्कुल इंग्लिश के टेक्स्ट ही होते हैं। मार्कअप का मतलब यह है कि कुछ सिलेक्टेड टेक्स्ट कीवर्ड्स की तरह काम करते हैं। इन कीवर्ड्स को ब्रैकेट्स < > के अंदर लिखा जाता है। कीवर्ड्स का मतलब हमारी आम बोलचाल की भाषा में अंग्रेजी भाषा के शब्द कुछ अलग मीनिंग जनरेट करते हैं, जबकि यही शब्द प्रोग्रामिंग भाषा में अलग मीनिंग जनरेट करते हैं, जिन्हें सिर्फ और सिर्फ उस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का कंपाइलर इंटरप्रिटर ही समझ पाता है। जैसे कि हमारी बोलचाल की भाषा में To का मतलब होता है “जिसे” , लेकिन इसी To का मतलब प्रोग्रामिंग भाषा में नई केरेक्टर लाइन स्टार्ट करने के लिए किया जाता है।

HTML क्या है? HTML का इतिहास

एचटीएमएल की खोज एक भौतिक वैज्ञानिक Tim Berners Li ने सन 1980 में जेनेवा में की थी। उन्हे एचटीएमएल का जनक या पिता भी कहा जाता है। वो CERN मैं कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पे काम करते थे। उन्होंने रिसर्चस के लिए एक खास तरह के सिस्टम का प्रस्ताव रखा था, जिसके अनुसार उन्होंने एक इंटरनेट के ऊपर या यु कहे ऑनलाइन चलने वाला प्रोग्राम तैयार किया था, ताकि रिसर्चरस को सारी जानकारी आसानी से ऑनलाइन मिल सके।

यह पहला हाइपरटेक्स्ट प्रोग्राम था, जो 1989 में लिखा गया था। और उनके इस खोज को मोज़ेक ब्राउज़र (Mosaic browser) द्वारा आम जनता के लिए जारी किया गया था। जो एनसीएसए (NCSA) द्वारा विकसित किया गया था। मोजेक ब्राउज़र उन पहली एप्लीकेशंस में से एक है जिसे एचटीएमएल के जरिए ही डिवेलप किया गया था, ताकि लोगों को सिर्फ और सिर्फ किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में थ्योरेटिकल लेक्चरर्स के बजाय प्रैक्टिकल एग्जांपल देखने को मिल सके और इसका रिजल्ट वाकई में बहुत ही उत्साहवर्धक रहा। लोगों ने इस नई खोज को हाथों हाथ लिया और बहुत जल्दी एचटीएमएल और उसके बने हुए उत्पाद लोगों के बीच में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध होते गए।

दरअसल उस समय इंटरनेट को इस्तेमाल करने वालों के सामने काफी समस्याएं आती थी, जैसे कि रिसीवर और सेंडर दोनों को एक साथ ऑनलाइन आना पड़ता था। रिसीवर सेंडर को रिक्वेस्ट भेजता था और सेंडर मांगे गए डाटा को इंटरनेट पर अपलोड करके रिसीवर को भेज देता था। अब अगर ऐसी कंडीशन में सैंडर ऑनलाइन नहीं है तो यह रिक्वेस्ट किसी को भी रिसीव नहीं होगी, चुंकि सारा डाटा मैनुअली सर्च करके अपलोड करना पड़ता था, तो रिसीवर को उसका मांगा हुआ डाटा भी नहीं मिल पाता था।

इस कारण की वजह से इंटरनेट होने के बावजूद भी डाटा ना मिलने की समस्या पैदा हो रही थी और इंटरनेट का सही तरह से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था। टीम बर्नर्स ली ने यह सोचा के एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिसमें रिसीवर सैंडर के कंप्यूटर के डाटा को खुद ही एक्सेस कर सके और अपने पसंद का डाटा सैंडर के कंप्यूटर से अपने सिस्टम में ले सके। ऐसा होने से मैनुअल डाटा सर्च करने से होने वाली परेशानी से बचा जा सकता था। यानी कि अब ऐसी हालत में सेंडर को ऑनलाइन रहने की जरूरत नहीं थी। वह खाली अपने सिस्टम को ऑनलाइन करके छोड़ सकता था, ताकि रिसीवर जब चाहे उसके कंप्यूटर को एक्सेस कर सके।

1991 में एचटीएमएल का पहला हाइब्रिड रुप लांच किया गया, जिसे एचटीएमएल 1.0 नाम दिया गया।

इसमें केवल 20 एलिमेंट्स ही शामिल किए गए थे जो कि सही तरह से काम कर रहे थे, इनमें से लगभग 13 एलिमेंट अभी चलने वाली एचटीएमएल में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। यहां एलिमेंट से मतलब उस लैंग्वेज में मौजूद सुविधाओं से था। हालांकि टीम बर्नर्स ली ने और भी एलिमेंट्स तैयार किए थे, पर समय की कमी की वजह से सिर्फ और सिर्फ उन्हीं 20 एलिमेंट को पहले वर्जन में शामिल किया गया था जो सही तरह से काम कर रहे थे।

1995 में एचटीएमएल 2.0 नाम से पहला ऑफिशियल इंडिविजुअल एचटीएमएल सेटअप लांच किया गया। इसके आविष्कार के बाद में भी कई वैब बेस्ड लैंग्वेजेस को बनाने में एचटीएमएल 2.0 को एक स्टैंडर्ड की तरह काम में लिया गया। यहां इसके इंडिविजुअल होने का मतलब यह था कि एचटीएमएल अलग अलग हाइब्रिड टुल्स या प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बजाय खुद एक कंपलीट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बन चुका था और सिर्फ और सिर्फ अपने कोड के दम पर ही किसी भी एप्लीकेशन को बनाने की क्षमता रखता था। यह अपने आप में एक चमत्कारी आविष्कार था, क्योंकि इतने कम समय में एक ऐसी लैंग्वेज डिजाइन करना जो कि ऑनलाइन काम करती थी अपने आप में बहुत मायने रखता था उसको जिस तरह से बनाया गया था वह एक स्टैंडर्ड बन गया और इसके बाद से हर एप्लीकेशन को बनाने से पहले इन्हीं स्टैंडर्ड्स को फॉलो किया जाता था।

पर इस समय तक भी एक समस्या थी। एचटीएमएल के अंदर मौजूद डाटा जब ऑनलाइन तैयार किया जाता था, तो यूजर को जो डाटा दिखाई देता था वह एक पेज पर लिखे हुए पैराग्राफ की तरह होता था। यानी कि दो अलग-अलग कंटेंट के बीच में खाली जगह मुहैया कराना काफी मुश्किल था, क्योंकि एचटीएमएल खाली जगह को एक्सेप्ट नहीं करता था। अब अगर आपको कोई डाटा एक चार्ट या टेबल के रूप में देना है, तो ऐसा संभव नहीं था इसमें सबसे ज्यादा समस्या यह आती थी कि किसी भी कंटेंट को इंडेक्स्ड नहीं किया जा सकता था, पर जल्द ही इस समस्या पर भी काबू पा लिया गया।

1996 में आखिरकार एचटीएमएल के अंदर टेबुलर फॉर्म बनाने में सफलता मिल गई जिसके बाद किसी भी तरह की इनफार्मेशन को टेबुलर फॉर्म में या टेबल बनाकर प्रजेंट किया जा सकता था। इसी के साथ एचटीएमएल ने एक नया इतिहास बना दिया था। दरअसल एचटीएमएल इतनी ज्यादा तेजी से प्रसिद्ध हो रही थी के इसके नए फीचर्स जल्द से जल्द लाना एक मजबूरी बन चुकी थी, और टीम बर्नर्स ली और उनकी टीम ने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

साथ ही साथ एचटीएमएल में “क्लाइंट साइड इमेज मैप्स” ऑप्शन भी सक्सेसफुली डेवलप कर लिया गया। इस ऑप्शन में दरअसल किसी भी इमेज को मल्टीपल लिंक्स में बदला जा सकता था। साधारण शब्दों में बात करें तो एक इमेज के अलग-अलग हिस्सों में क्लिक करने पर अलग-अलग तरह के लिंक ओपन होते थे। इसके बाद से ज्यादातर काम ग्राफिकल यूजर इंटरफेस सिस्टम पर करना संभव हो पाया। इसे अब साधारण भाषा में समझते हैं।

किसी भी वेब पेज पर मौजूद कोई भी इमेज पर क्लिक करने पर उससे जुड़ा लिंक खुल जाता है, लेकिन इस ऑप्शन के बाद एक ही इमेज के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग लिंक खोलना संभव हो सका। इसे शॉर्ट में यूनिफार्म रिसोर्स आईडेंटिफायर या यू आर आई (URI) भी कहा जाता है। दरअसल एचटीएमएल की मदद से हाइपर लिंक बनाना संभव हो पाया। हाइपरलिंक का मतलब किसी भी टेक्स्ट को सेलेक्ट करके अगर उसे हाइपरलिंक बना दिया जाए तो उस हाइपर लिंक पर क्लिक करने से उससे जुड़े हुए वेबपेजेस ओपन हो जाते हैं।

हाइपरलिंक को पहचानना बहुत आसान होता है यह हमेशा या तो ब्लू कलर में दिखता है या इसके नीचे अंडर लाइन रहती है।किसी भी टेक्स्ट को हाइपरलिंक में बदलने से पहले उससे जुड़ा हुआ वेब पेज तैयार करना पड़ता है और उस वेब पेज का एड्रेस उस टेक्स्ट के अनुसार ही रखा जाता है। URI के आविष्कार के बाद एक सिंगल इमेज में ही मल्टीपल हाइपरलिंक बना दिए जाते हैं, इसकी वजह से अब एक ही इमेज के अलग-अलग हिस्से पर क्लिक करने से अलग-अलग हाइपरलिंक एक्टिव होते हैं और उनसे जुड़ा हुआ लिंक वेब पेज ओपन हो जाता है।

जैसे-जैसे एचटीएमएल का विकास होता गया वैसे-वैसे इंटरनेट में होने वाले बदलावों की वजह से कई तरह के स्टैंडर्ड्स बना दिए गए और किसी भी web-application को मान्यता हासिल करने के लिए इन स्टैंडर्ड्स को पास करना जरूरी था।

एसा ही एक स्टैंडर्ड था W3C. दरअसल W3C की फुल फॉर्म “World Wide Web Consortium” हैं। यह एक संस्था है जिसके डायरेक्टर टिम बर्नर्स ली ही थे,इस संस्था का मकसद इंटरनेट को आम जनता के लिए आसान और उपयोगी बनाना था। और एचटीएमएल भी टिम बर्नर्स ली ने ही बनाई थी, इसीलिए अब एचटीएमएल को W3C के स्टैंडर्ड्स को पास करना जरूरी था, इसीलिए 14 जनवरी 1997 को एचटीएमएल 3.2 वर्जन रिलीज किया गया जोकि W3C के मान्यताओं के अनुसार बनाया गया था।

18 दिसंबर 1997 को एचटीएमएल 4.0 पब्लिश किया गया था।

24 दिसंबर 1999 को एचटीएमएल 4.01 रिलीज किया गया।

मई 2000 में एचटीएमएल को ISO/IEC15445:2000 स्टैंडर्ड हासिल हुआ उसके बाद में एचटीएमएल को “ISO HTML” ISO/IEC इंटरनैशलन स्‍टैंडर्ड के रूप में पब्लिश किया गया।

थोड़े समय बाद एचटीएमएल में एक्स एम एल XML भी जोड़ दिया गया, दरअसल एक्स एम एल एचटीएमएल के अंदर डेटाबेस को जोड़ने की एक फैसिलिटी है। एक्सएमएल की मदद से एचटीएमएल में टैब्युलर फॉर्म में डाटा को स्टोर करना और भी ज्यादा आसान हो गया क्योंकि यह टेबल पहले से मौजूद किसी डेटाबेस से आसानी से कनेक्ट हो सकती है। इसके बाद से एचटीएमएल का इस्तेमाल और भी ज्यादा बढ़ गया क्योंकि अब एचटीएमएल के अंदर सारा डाटा कोडस में डालने के बजाय डेटाबेस में सेव कर सकते थे और उस डेटाबेस को सीधे ही एचटीएमएल के कोड के साथ कनेक्ट कर दिया जाता था।

HTML और XML दोनो जॉइन होने पर XHTML बनता हैं।

23 अक्टूबर 2014 को HTML5 रिलीज किया गया।

1 नवंबर 2016 को HTML 5.1 रिलीज किया गया।

HTML के कुल वर्जन कितने हैं?

Versions-of-Html

[Image Source]

एचटीएमएल के अभी तक पांच मुख्य वर्जन आ चुके हैं जिनके अंदर उनके सबवर्जन भी मौजूद हैं।

यह पांच वर्जन निम्नलिखित हैं।
HTML 1
HTML 2
HTML 3
HTML 4
HTML 5
XHTML

इन सारे वर्जंस में से वर्जन 3,4,5 W3C स्टैंडर्ड के अनुसार ही बने हुए हैं। छोटे-मोटे बदलाव होने पर मुख्य वर्जन के अंदर सब वर्जन रिलीज कर दिया जाता है जैसे कि 3 के अंदर 3.2, या 4 के अंदर 4.01 आदि।

ज्यादा बदलाव होने पर सीधा ही नया वर्जन रिलीज कर दिया जाता है।

HTML की टर्मिनोलॉजी

HTML-terminology

सबसे पहले यह जान लेना ज्यादा जरूरी होगा कि एचटीएमएल एक प्लेटफॉर्म इंडिपेंडेंट लैंग्वेज है, यानी कि इस लैंग्वेज में बने हुए वेबसाइट्स और वेबपेजेस किसी भी तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे के माइक्रोसॉफ्ट विंडोज, लिनक्स और आईओएस में आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते हैं। हर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की तरह एचटीएमएल में भी सबसे ज्यादा जरूरत क्रिएटिविटी की होती है, क्योंकि इसी की मदद से लॉजिक जनरेट किया जाता है।

आप लोग सोच रहे होंगे यह लॉजिक क्या होता है? प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोड्स होते हैं। उन्हें कैसे और कहां इस्तेमाल करना है, यह आपको सिखाया जा सकता है पर उन्हें क्यों इस्तेमाल करना है और किस तरह से हम उनकी मदद से अलग अलग तरह की एप्लीकेशंस बना सकते हैं, यह सब अलग-अलग लॉजिक पर निर्भर करता है। अब क्योंकि हर इंसान के सोचने की क्षमता दूसरे से अलग है इसीलिए सब के द्वारा जनरेट किए गए लॉजिक भी अलग-अलग होते हैं और इसी वजह से एक ही जैसा काम करने वाली अलग-अलग एप्लीकेशंस कई सारे वेरिएशन लिए हुए होती है।

कुछ तो इतनी आसान एप्लीकेशंस होती है कि पहली बार में समझ आ जाती है और बहुत बेहतर तरीके से काम करती है जबकि कुछ एप्लीकेशन इतनी कॉम्प्लिकेटेड होती हैं समझ में आना तो दूर धीरे-धीरे युजर इन्हे इस्तेमाल करना ही बंद कर देते हैं। इसीलिए किसी भी एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर को इजी टू यूज बनाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

HTML का इस्तेमाल करने के तरीके

एचटीएमएल को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले हमारे पास में एचटीएमएल के कोडस या फिर टेग होने चाहिए। यह टेग एक्चुली एचटीएमएल के वही मार्कअप टेक्स्ट है।

आज के समय में किसी भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को इस्तेमाल करने के लिए उसके सारे कोड्स या टैग याद करना जरूरी नहीं है बस हमें उन्हें कहां और कैसे इस्तेमाल करना है यह तरीका आना चाहिए बाकी सारी इनफार्मेशन तो बुक्स या ऑनलाइन नोट्स के जरिए मिल जाती है।

ज्यादातर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले कंप्यूटर में उस लैंग्वेज के बेसिक या बेस् सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना पड़ता है। यह बिल्कुल वैसा है जैसे किसी प्रोग्राम या एप्लीकेशन को यूज़ करने के लिए सबसे पहले उसे इंस्टॉल करना होता है।

एचटीएमएल के साथ ऐसा नहीं है। एचटीएमएल के कोड को टाइप करने के लिए आप कोई भी साधारण टेक्स्ट एडिटर सॉफ्टवेयर काम में ले सकते हैं, जैसे के नोटपैड। नोटपैड बाय डिफॉल्ट हर कंप्यूटर में पहले से इंस्टाल्ड आता है।

दूसरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज है कि जिस कंप्यूटर में हम एचटीएमएल की मदद से वेब पेज या वेबसाइट बना रहे हैं, उस कंप्यूटर में एक वेब ब्राउजर इंस्टॉल होना चाहिए, क्योंकि नोटपैड में कोड लिखने के बाद उसे सेव करके वेब ब्राउज़र के साथ ओपन करना होता है। ऐसा करने से नोटपैड में लिखा हुआ एचटीएमएल कोड एक वेब पेज की शक्ल में बदल जाता है।

जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं एचटीएमएल के कोड को टैग भी कहा जाता है।

इन टेग को एक फिक्स सीक्वेंस में लिखा जाता है, जैसे कि अगर हमें हमारे वेब पेज का कलर ग्रीन चाहिए तो टैग के अंदर कलर ग्रीन <bgcolor=Green> लिखना होता है। यहां bgcolor का मतलब बैकग्राउंड कलर है।

उसी तरह से वेब पेज पर जब कोई इमेज डालनी हो तो कोडिंग में टैग में उस इमेज का लिंक डालना होता है।

इसी तरह से वेब पेज पर दिखने वाली हर एक चीज एचटीएमएल के अंदर टैग में लिखी जाती है।

इस तरह से एचटीएमएल के अंदर ग्राफिक्स, कलर्स, फोंट, टेक्स्ट, साइज, व्यू, अलाइनमेंट आदि से जुड़े हुए कई तरह के टैग दिए गए हैं। हमें बस इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करने का तरीका पता होना चाहिए।

तो सबसे पहले हमें जिस तरह का वेब पेज बनाना है, उस तरह के टैग को नोटपैड में लिखना होता है। उसके बाद में नोटपैड की इस फाइल को सेव करना होता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उस फाइल को सेव करते वक्त उसके नाम के आगे .html या .htm लिखना जरूरी है, ऐसा करने से ही हमारी यह नोटपैड फाइल एक्चुली एक एचटीएमएल फाइल के रूप में सेव हो जाती है और जब हम वेब ब्राउज़र की मदद से इसे ओपन करने की कोशिश करते हैं, तो यह एक ऑनलाइन रनिंग वेब पेज की तरह ओपन हो जाती है। अगर हम फाइल को सेव करते वक्त .htm या .html नहीं लिखते हैं तो यह फाइल बाय डिफॉल्ट नोटपैड फाइल में सेव हो जाती है और जब हम इसे ओपन करते हैं तो यह फिरसे नोटपैड में एक नार्मल टेक्स्ट फाइल की तरह ओपन होती है।

HTML टैग कैसा दिखता है?

जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं एचटीएमएल टैग साधारण इंग्लिश टेक्स्ट ही होता है, पर एचटीएमएल के अंदर यह टेक्स्ट कीवर्ड की तरह काम करता है जिन्हें ब्रैकेट् < > के अंदर लिखा जाता है।

सबसे पहले हम स्टार्ट टैग और एंड टैग के बारे में जान लेते हैं। किसी भी एचटीएमएल टैग को लिखने के लिए पहले उसका स्टार्ट टैग लिखना होता है और उसके खत्म हो जाने के बाद अंत में उसका एंड टैग लिखना होता है। यह दोनों टैग लगाए बगैर एचटीएमएल में किसी भी तरह का टैग काम नहीं करेगा।

<head>___________</head>

यहां आगे जो टैग लगा हुआ है <head> वह इस कमेंट का हेड टैग या स्टार्ट टेग है। पीछे जो टैग लगा हुआ है </head> वह इस कमेंट का टैल टैग या एंड टैग है।

बीच में जो खाली जगह दी गई है वहीं पर हम जो भी टेक्स्ट चाहे वह टाइप कर सकते हैं। जब यह कमेंट पूरा हो जाता है, तो वेब ब्राउज़र में हमें इन दोनों टैगो के बीच में लिखा हुआ सारा टेक्स्ट ही नजर आएगा।

उदाहरण के तौर पर नीचे देखिए
<title>Hello World</title>

यहां पर स्टार्ट टैग में टाइटल लिखा हुआ है, यानी कि जो भी हम स्टार्ट टैग के बाद लिखेंगे वह हमारे वेब पेज के टाइटल की जगह शो होगा। और एंड टैग से टाइटल वाला कमेंट खत्म होगा। अगर यहां एंड टैग ना हो तो टाइटल वाली लाइन कभी खत्म ही नहीं होगी और हम जो कुछ भी आगे टेग देंगे या लिखते जाएंगे उनमें से कुछ भी वेब पेज पर नजर नहीं आएगा।

और हमने जो यह पूरा कमेंट लिखा है, यह वेब पेज पर सिर्फ और सिर्फ Hello World ही नजर आएगा। यानी कि टैग लिखते वक्त तो हमें प्रोग्रामिंग में सब कुछ नजर आता है पर जब हम उसे एक एचटीएमएल वेब पेज में कन्वर्ट कर देते हैं तो वहां पर इन टैग्स के बीच लिखा हुआ टेक्स्ट या इमेजेस या ग्राफिक्स ही नजर आता है और टैग्स छुप जाते हैं।

ध्यान देने वाली बात यहां यह है, कि एचटीएमएल के सारे कीवर्ड्स केस सेंसेटिव होते हैं। यानी कि अगर हम कैपिटल टेक्स्ट लिखते हैं तो वेब ब्राउजर में सारा टेक्स्ट कैपिटल ही नजर आएगा और अगर स्माल लेटर्स में लिखेंगे तो वेब ब्राउजर में सारा टेक्स्ट स्माल लेटर्स में ही नजर आएगा।

अभी जो हमने टैग देखा वह टाइटल टैग था। लेकिन अगर हमें वेबपेज के सेंटर पोर्सन में या कहें बॉडी में कुछ लिखना हो तो बॉडी टैग काम में आता है। जिसे कुछ इस तरह लिखा जाता है।

<body>html is very good language</body>

वेब ब्राउज़र में हमें सिर्फ और सिर्फ html is very good language ही लिखा हुआ नजर आएगा।

अगर हमें इस लिखे हुए टेक्स्ट की फोंट साइज या कलर या बैकग्राउंड कलर या फॉर्मेट बदलना हो तो उसके कोड इसी बॉडी टैग के अंदर लिखे जाएंगे।

कुछ और प्रमुख टैग निम्नलिखित हैं।
<html>
<h1>, <h2>,<h3>,<h4>,<h5>,<h6> यह सारे हेडिंग टैग है।
<b> bold tag
<p> paragraph tag
<br> line break tag
<table>
<audio>
<video>
<img>

इसी तरह से एचटीएमएल के अंदर कई सारे तरह के टैग मौजूद होते हैं। अगर आप एचटीएमएल कोडिंग को बड़े लेवल पर देखना चाहते हैं, तो किसी भी वेबपेज या वेबसाइट पर जाना है, उस पर माउस का राइट बटन क्लिक करना है और व्यू कोड पर क्लिक करना है, ऐसा करते ही उस पेज के बजाय हमें एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से भरा हुआ पेज दिखाई देगा। इसमें कई सारे रंग बिरंगे कोड दिखाई देंगे, यह सारे कोड दरअसल उस वेबपेज के एचटीएमएल कोड है। यह कोड हजारों की तादाद में आपको वहां दिखाई देंगे। इतने सारे कोड को मिलाकर के एक वेब पेज बनता है।

अब समय बदलने के साथ-साथ इंटरनेट और उसके उत्पाद सिर्फ और सिर्फ कंप्यूटर स्क्रीन तक ही सीमित नहीं रहे हैं बल्कि अब तो स्मार्टफोंस पर भी लोग भाग इंटरनेट यूज करने लगे हैं, तो साधारण सी बात है कि उसके लिए भी एचटीएमएल के मोबाइल वर्जन मार्केट में आ चुके हैं, जिनके जरिए डवलप की जा सकने वाली एप्लीकेशन आसानी से एंड्रॉयड या आईओएस प्लेटफॉर्म पर काम करती है।

जैसा कि हमने पहले बताया एचटीएमएल एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, उसमें सबसे ज्यादा जरूरत प्रोग्रामर की क्रिएटिविटी की होती है इसीलिए किसी भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में जानकारी अथाह होती है, इसलिए हम आपको सारी इनफार्मेशन तो नहीं दे सकते हैं, तो फिर भी हमने पूरी कोशिश करी है आपको एचटीएमएल के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की। जल्द ही हमारे और ब्लॉग भी आएंगे जो कि एचटीएमएल से जुड़े हुए अन्य मुख्य मुद्दों पर होंगे। उसमें हम आपको एचटीएमएल से बनने वाली एप्लीकेशंस के बारे में बताएंगे जैसे कि सर्च इंजंस, वर्ल्ड वाइड वेब आदि।

हमने इस ब्लॉग के माध्यम से आपको HTML क्या है, HTML के बारे में मुख्य जानकारियां प्रदान करने की कोशिश करी है। आशा करते हैं आपको यह ब्लॉग पसंद आएगा अगर आपको एचटीएमएल के बारे में और अधिक जानकारी चाहिए हो या इस ब्लॉग से जुड़े हुए किसी भी टॉपिक पर कोई आपका सवाल हो तो हमें नीचे कमेंट में लिखकर अवश्य बताएं।

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