वेब होस्टिंग क्या है – What is Web Hosting in Hindi?

वेब होस्टिंग जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है वेब वर्ल्ड में होस्ट करना, बिल्कुल वैसे ही जैसे हम हमारे घर पर मेहमानों को होस्ट करते हैं।

दरअसल इंटरनेट की दुनिया में जो भी वेब साइट्स मौजूद हैं उन सभी को इस इंटरनेट की दुनिया में या वेबवर्ल्ड में कुछ वेबस्पेस खरीदना पड़ता है बिलकुल वैसे ही जैसे रियल वर्ल्ड में हम जमीन खरीदते हैं और वह जमीन हमारी होती है।

यह वेब स्पेस खरीदना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि एक वेबसाइट में कई तरह की फाइल्स, इमेजेस, वीडियोज आदि डाटा मौजूद होता है। इस डाटा को स्टोर करने के लिए जिस तरह हम हमारे कंप्यूटर में मेमोरी इस्तेमाल करते हैं उसी तरह वेब वर्ल्ड में भी इन्हें अपलोड या स्टोर करने के लिए वेबस्पेस की जरूरत पड़ती है।

यह वेब स्पेस दरअसल कुछ पावरफुल कंप्यूटर्स में मौजूद मेमोरी स्पेस होता है। इन पावरफुल कंप्यूटर्स का कॉन्फ़िगरेशन बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग होता है जैसे कि इनकी रैम कई 100 GB तक की हो सकती है और इनकी मेमोरी टेराबाइट तक भी पहुंच जाती है। इसके अलावा इनमें हाईली एडवांस प्रोसेसर्स लगाए जाते हैं। इतने पावरफुल कॉन्फ़िगरेशन की वजह से ही यह कंप्यूटर्स इंटरनेट को कंट्रोल कर पाते हैं। ऐसे कंप्यूटर्स को सर्वर या वेबसर्वर कहा जाता है, और अगर हमें हमारी वेबसाइट को इंटरनेट पर डालना है तो हमें हमारी वेबसाइट को इस सर्वर पर अपलोड या सेव करना होगा। इसके लिए हमें इन सर्वर पर कुछ स्पेस, कीमत देकर खरीदना होगा। उसके बाद यह सर्वर हमारे डाटा को इंटरनेट पर एक्टिव बनाए रखेंगे। यही पूरा प्रोसेस वेब होस्टिंग कहलाता है

Web Hosting

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क्या हम अपने पर्सनल कंप्यूटर पर वेब होस्टिंग कर सकते है?

हम वेब होस्टिंग हमारे कंप्यूटर पर नहीं कर सकते हैं क्योंकि इंटरनेट की दुनिया में आज अरबों वेबसाइट्स मौजूद हैं जिस वजह से इंटरनेट की दुनिया में बहुत ज्यादा ट्रैफिक हो जाता है। इतने ट्रैफिक में अपनी वेबसाइट को सभी तक पहुंचाने के लिए हमें बहुत ही ज्यादा पावरफुल और 24 X 7 इंटरनेट पर मौजूद रह सकने वाला सर्वर ही इस्तेमाल करना पड़ेगा, और इतना शक्तिशाली कॉन्फ़िगरेशन बहुत ही ज्यादा महंगा होता है तो खुद का सर्वर बनाने के बजाय हम काफी कम कीमत देकर पहले से मौजूद सर्वर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

वेब होस्टिंग कम्पनीज

जो कंपनियां अपने सर्वर को किराए पर देती है उन्हें वेब होस्टिंग कम्पनीज कहते हैं। 

जिस तरह हम रियल वर्ल्ड में हमारी प्रॉपर्टी किराए पर देकर उससे मुनाफा कमाते हैं उसी तरह वेब होस्टिंग कंपनियां अपने सिस्टम्स का वेबस्पेस किराए पर देकर मुनाफा कमाती है। इसके लिए वेब होस्टिंग कंपनी और खरीददार के बीच में कुछ वक्त (जैसे 1 साल) के लिए एक कांट्रेक साइन होता है, पेमेंट करने के बाद खरीददार अपना डाटा इस वेब स्पेस पर उतने टाइम पीरियड के लिए अपलोड कर देता है।

एक बार हमारी वेबसाइट या डाटा इन वेबसर्वर पर अपलोड होने के बाद वेबसाइट का डोमेन नेम पूरी दुनिया के लिए विजिबल हो जाता है और जब भी कोई यूजर हमारी वेबसाइट को एक्सेस करना चाहेगा तो वह अपने वेब ब्राउज़र की मदद से उस वेब सर्वर तक पहुंच जाएगा जहां पर हमारी वेबसाइट अपलोड की हुई है।

डोमेन नेम पर अधिक जानकारी के लिए आप हमारा ब्लॉगDNS क्या है?पढ़ सकते हैं।

यूं तो मार्केट में कई कंपनियां मौजूद हैं पर किसी भी कंपनी से वेब होस्टिंग फैसिलिटी खरीदने से पहले कुछ बातें ध्यान देनी पड़ती है जैसे कि:

मेमोरी डिस्क स्पेस

वेब सर्वर पर आपको कितना मेमोरी स्पेस मिलेगा यह जानना बहुत जरूरी है क्योंकि जितना ज्यादा स्पेस उतना ज्यादा smooth आपकी वेबसाइट चलेगी।

लेटेस्ट टेक्नोलॉजी

हमेशा ऐसी कंपनी से ही वेब होस्टिंग फैसिलिटी ले, जो सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करते हो।

बैंडविथ

जैसे हमारे घरों में पानी के पाइप की जितनी साइज होती है उसी स्पीड से पानी आता है, आधा इंच पाइप से कम पानी आता है और यही अगर 1 मीटर रेडियस वाला पाइप लगा दे तो उससे बहुत ज्यादा पानी आता है। अगर आधा इंच पाइप में 10 नल लगा दिया जाए तो सभी में पानी बहुत ही कम आएगा लेकिन अगर 1 मीटर रेडियस वाले पाइप में 100 नल भी लगा दे तब भी सभी नल में काफी स्पीड से पानी आएगा। बिल्कुल उसी तरह वेब वर्ल्ड में प्रति सेकंड कितना डाटा ट्रांसफर हो सकता है यही बैंडविथ है तो जितनी ज्यादा बैंडविथ होगी, उतने ज्यादा कनेक्शंस एक साथ स्थापित हो सकते हैं।

साधारण शब्दों में एक ही वक्त पर हजारों यूजर आपकी वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं लेकिन अगर बैंडविथ कम होगी तो यूजर्स को आपकी वेबसाइट एक्सेस करने में कई तरह के issues फेस करने पड़ेंगे। इसीलिए वेब होस्टिंग सर्विस लेने से पहले बैंडविथ की क्वालिटी जरूर जांच लें।

अप टाइम

कोई भी वेबसाइट इंटरनेट पर कितने समय उपलब्ध रहती है उसे ही UP Time कहते हैं क्योंकि web-server में किसी भी छोटी सी समस्या की वजह से भी आपकी वेबसाइट डाउन हो जाती है यानी कि कोई उससे उस समय कनेक्ट नहीं हो सकता है इसीलिए वेब होस्टिंग लेते वक्त कंपनी कितना अप टाइम दे रही है यह जानना बहुत जरूरी है कोई भी कंपनी हंड्रेड परसेंट अप टाइम नहीं दे सकती है इसीलिए वही से वेब होस्टिंग सर्विस ले जहां आपको बाकी के मुकाबले सबसे ज्यादा अप टाइम मिल रहा है।

डाटा बैकअप

किसी भी रीजन की वजह से अगर सर्वर बंद हो जाता है फिर भी आपका सारा डाटा बैकअप हो जाए ऐसी होस्टिंग सबसे ज्यादा बेहतर होती है।

अपडेट और टॉप अप

नई तकनीक के आते ही आपके सर्वर और मिलने वाली फैसिलिटी को भी अपडेट कर दिया जाए, ऐसी होस्टिंग सही रहती है।

डाटा ओर वेब सिक्योरिटी

चाहे ऑफलाइन हो या ऑनलाइन आपका डाटा हमेशा हर तरह के रिस्क जैसे कि हैकिंग, वायरस, या चोरी से सुरक्षित रहे, ऐसी होस्टिंग सही रहती है।

कस्टमर सर्विस

यहां कस्टमर सर्विस दरअसल आपके लिए है आप किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने वेब होस्टिंग कंपनी से कांटेक्ट करेंगे अगर उनका कस्टमर सर्विस अच्छा है तो आपको कोई समस्या नहीं होगी। कुछ वेब होस्टिंग कंपनियां 24 X 7 कस्टमर सर्विस देती है। 

वेब होस्टिंग कितने प्रकार की होती है?

वैसे तो वेब होस्टिंग क्लाइंट की जरूरत के हिसाब से दी जाती है पर अगर हम इन्हें मोटे तौर पर समझना चाहे तो चार हिस्सों में वेब होस्टिंग को बांटा गया है। 

शेयर्ड वेब होस्टिंग

इस टाइप में एक ही सर्वर पर कई सारी वेबसाइट्स एक साथ होस्ट की जाती है यानी कि यह सारी वेबसाइट उस सर्वर में मौजूद प्रोसेसर और मेमोरी को मिल बांट कर एक साथ इस्तेमाल करती हैं।

शेयर्ड वेब होस्टिंग

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Pros:

  • इस प्रोसेस में कोस्टिंग काफी कम हो जाती है।
  • हर कोई इसे आसानी से इस्तेमाल कर सके इसलिए इसे यूजर फ्रेंडली बनाया जाता है।
  • छोटी वेबसाइट वाले या कम ट्रैफिक वाली वेबसाइट वाले इसे इस्तेमाल करते हैं।

Cons:

  • इसमें ट्रैफिक की वजह से वेबसाइट डाउन भी जा सकती है यानी कि कई सारी वेबसाइट एक साथ चलने की वजह से आपकी वेबसाइट को प्रोसेसिंग में मुश्किलें सकती हैं।
  • इसमें क्लाइंट को लिमिटेड एक्सेस मिलता है।
  • इसमें सिक्योरिटी बाकी के मुकाबले उतनी अच्छी नहीं होती है।

डेडीकेटेड वेब होस्टिंग

शेयर्ड वेब होस्टिंग की ट्रैफिक की समस्या से बचने के लिए आप अपनी वेबसाइट के लिए अलग से एक पूरा सर्वर ले सकते हैं यानी कि वेब होस्टिंग कंपनी के 1 सर्वर पर सिर्फ आपकी ही वेबसाइट चलेगी। इसे ही डेडीकेटेड वेब होस्टिंग कहते हैं।

डेडीकेटेड वेब होस्टिंग

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Pros:

  • इसमें क्लाइंट को कंप्लीट एक्सेस मिलता है।
  • ट्रैफिक की कोई समस्या नहीं होती।
  • वेबसाइट डाउन जाने का कोई रिस्क नहीं होता।
  • सबसे बेहतर सिक्योरिटी मिलती है।
  • क्लाइंट अपने हिसाब से प्रोसेस को मॉडिफाई भी कर सकता है।

Cons:

  • यह बहुत कॉस्टली होती है।
  • इसमें वेब होस्टिंग कंपनी आपको पूरा सर्वर हैंड ओवर कर देती है इसलिए आपको इससे जुड़ी सारी जानकारी होनी चाहिए
  • यानी कि इसका मेंटेनेंस और 100% यूज करने के तरीके आपको पता होना चाहिए।

वीपीएस वेब होस्टिंग

इस प्रोसेस में एक ही सर्वर में रिसोर्सेज की संख्या बढ़ा दी जाती है और वर्चुलाइजेशन टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता है यानी कि वेबसाइट को यह लगता है की उनके लिए पूरा सर्वर मौजूद है। 

साधारण शब्दों में इसमें सर्वर में मौजूद प्रोसेसर और मेमोरी को इस तरह से बांटा जाता है की जरूरत के हिसाब से वेबसाइट प्रोसेसर या मेमोरी का कम ज्यादा इस्तेमाल कर सकती है तो बची हुई मेमोरी और प्रोसेसर उस समय दूसरी वेबसाइट अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकती है।

यह कंसेप्ट बिल्कुल कॉमन रूम की तरह है जिसे हर कोई इस्तेमाल कर सकता है पर एक बार में एक ही व्यक्ति उस रूम को पूरी तरह इस्तेमाल कर सकता है जब वह व्यक्ति उस रूम को खाली कर देगा उसके बाद दूसरा व्यक्ति उस रूम को इस्तेमाल कर सकता है। इस तरह हर व्यक्ति को यह लगेगा कि यह पूरा रूम कुछ वक्त के लिए सिर्फ उसका है, जो उसे किसी के साथ शेयर नहीं करना होगा।

Pros:

  • इसमें आपको शेयर्ड होस्टिंग की कीमत में डेडीकेटेड होस्टिंग के बेनिफिट्स मिलते हैं।
  • यानी कि बेस्ट सिक्योरिटी, कंट्रोल ओर तकनीक ओर वो भी काफी काम कीमत में।

Cons:

  • इसमें कभी कभी टेक्निकल इश्यूज जैसे कि website down हो जाना, या हैवी ट्रेफिक की वजह से सर्वर डाउन हो जाना
  • आदि हो सकते है, साथ ही आपके पास एक अच्छी टेक्निकल मेंटनेंस टीम होनी चाहिए।

क्लाउड स्टोरेज वेब होस्टिंग

क्लाउड स्टोरेज का मतलब एक ही सर्वर के बजाए आपकी website मल्टीपल सर्वर पे मौजूद रहेगी, ओर इन सब सर्वर के रिसोर्स को इस्तेमाल कर सकती हैं। इसमें ये सारे सर्वर एक ही वेब होस्टिंग कंपनी के होंगे। मल्टीपल सर्वर को एक साथ इस्तेमाल करने के कॉन्सेप्ट को ही क्लाउड कम्प्यूटिंग कहते हैं।

क्लाउड स्टोरेज वेब होस्टिंग

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इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आपको कभी भी वेबसाइट डाउन या हैवी ट्रेफिक या लो बैंडविथ या फिर किसी भी तरह का टेक्निकल इश्यू नहीं देखना पड़ता है।

ये सबसे अच्छा ऑप्शन है, पर इसकी कीमत भी सबसे ज्यादा है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के हिसाब से दो ऑप्शन है:

  • Windows operated web hosting
  • Linux operated web hosting

Windows operating system को इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस खरीदना पड़ता है, इसलिए Windows based web hosting महंगी पड़ती हैं।

Linux एक open source software है, इसलिए Linux वेब होस्टिंग सस्ती पड़ती है।

ये दोनों ही ऑप्शन बेहतर है। आप अपनी चॉइस के हिसाब से कोई भी एक सेलेक्ट कर सकते हैं।

यूं तो मार्केट में कई सारी वेब होस्टिंग कंपनीया मौजूद है जैसे कि GoDaddy, Bigrock, Bluehost आदि। आपको इंटरनेट पर सारी कंपनीज़ की लिस्ट मिल जाएगी, जिनमे से आप अपनी सहूलियत के हिसाब से चुनाव कर सकते हैं।

हम उम्मीद करते हैं, के आपको वेब होस्टिंग समझ में गया होगा। किसी भी तरह कि क्वेरी के लिए कॉमेंट बॉक्स में लिख कर हमें बताएं।

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