DNS क्या है? – Domain Name System in Hindi
डोमेन नेम सर्वर जिसे शॉर्ट में डीएनएस भी कहते हैं, इसके और भी कई नाम है जैसे कि डोमेन नेम सर्विस, नेम सर्वर आदि। डोमेन नेम सर्वर इंटरनेट की दुनिया में मौजूद हर कंप्यूटर या डिवाइस को एक नाम देता है जो कि इंसानों के समझने लायक हो।

DNS हर आईपी एड्रेस को एक अल्फाबेटिक नाम प्रोवाइड करता है, और उस नाम को उसके आईपी एड्रेस के साथ अपने रिकॉर्ड्स में सेव कर लेता है। डीएनएस में एक फोन बुक की तरह हर वेबसाइट या डिवाइस का आईपी एड्रेस और उसका डोमेन नेम साथ–साथ लिखे होते हैं तो जब भी हम हमारी डिवाइस से किसी वेबसाइट के लिए रिक्वेस्ट सेंड करते हैं तो यह रिक्वेस्ट सबसे पहले डीएनएस के पास जाती है डीएनएस उस नेम को पहचान कर उसकी आईपी ऐड्रेस को सर्च करता है और हमारी डिवाइस को उस आईपी ऐड्रेस से कनेक्ट कर देता है।
एक उदाहरण से समझते हैं जैसे आपको knowledgeinhindi.in की वेबसाइट पर जाना है तो आप अपने कंप्यूटर में ब्राउज़र पर knowledge in hindi लिखेंगे। आपका वेब ब्राउजर इस रिक्वेस्ट को डीएनएस के पास भेजेगा। DNS अपनी डायरेक्टरी में knowledgeinhindi वेबसाइट को सर्च करेगा। जब उसे ये नाम मिल जाएगा तो वह उसके आगे लिखे आईपी एड्रेस पर आपकी रिक्वेस्ट फॉरवर्ड कर देगा और इस तरह आप knowledge in hindi हिंदी के वेबसाइट पेज पर पहुंच जाएंगे। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर आपको किसी भी वेबसाइट का आईपी एड्रेस मालूम है तो आप डायरेक्ट ही वेब ब्राउज़र में आईपी एड्रेस डालकर सीधा उस वेबसाइट पर जा सकते हैैं।
लेकिन इसके अलावा भी डीएनएस का एक बहुत महत्वपूर्ण रोल है दरअसल इंटरनेट नेटवर्किंग में सभी तरह की डिवाइसेज एक दूसरे से भी कम्युनिकेट करती है लेकिन यह हम इंसानों की तरह डिवाइसेज को नाम से नहीं ढूंढ सकती है क्योंकि नाम वाली लैंग्वेज इन्हें आती ही नहीं है यह तो बाइनरी लैंग्वेज पर काम करता है इसीलिए यह सारी डिवाइसेज एक दूसरे को उनके ip-address से ढूंढ लेती है और कम्युनिकेट करती है लेकिन जब हम इस कम्युनिकेशन को देखते हैं तो हमें ip-address के साथ–सथ वहां पर मौजूद हर एक डिवाइस का एक नाम दिखाई देता है।
डीएनएस सर्वर काम कैसे करता है?
- Resolver server
- Root Server
- Top Level Domain Server
- Authoritative Name Server
जब भी हमारे कंप्यूटर का वेब ब्राउजर किसी भी वेबसाइट या डिवाइस से कनेक्ट होता है तो हमारे वेब ब्राउज़र की कैच मेमोरी उस वेबसाइट या डिवाइस का आईपी ऐड्रेस सेव कर लेती है ताकि अगली बार जब भी हम उसी वेबसाइट या डिवाइस से कनेक्ट होना चाहे तो हमारा वेब ब्राउज़र डायरेक्ट उस से कनेक्ट हो जाएगा।
लेकिन अगर हम किसी वेबसाइट पर पहली बार कनेक्ट होना चाह रहे हैं तो यह रिक्वेस्ट हमारे वेब ब्राउज़र से resolver server तक जाती है। रीजोल्वर सर्वर हमारा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) होता है जैसे कि अगर हम बीएसएनएल यूज करते हैं तो हमारा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर बीएसएनएल सर्वर होगा जो कि हमें इंटरनेट से कनेक्ट करता है। रिजॉल्वर सर्वर सबसे पहले अपने कैच मेमोरी में उस वेबसाइट का आईपी ऐड्रेस सर्च करता है अगर उसे वह मिल जाता है तो वह हमारे ब्राउज़र को उस वेबसाइट से कनेक्ट कर देता है लेकिन अगर रिजॉल्वर सरवर को यह इंफॉर्मेशन अपनी कैच मेमोरी में नहीं मिलती है तो वह इस रिक्वेस्ट को आगे रूट सर्वर को फॉरवर्ड कर देता है।
जैसा कि नाम से पता लग रहा है रूट सर्वर DNS टर्मिनोलॉजी में एक रूट की तरह काम करता है क्योंकि इसे सभी तरह की वेबसाइट्स के ip-addresses की जानकारी होती है। लेकिन यहां एक बात ध्यान देने वाली है की रूट सर्वर किसी भी तरह के ip-address को होल्ड करके नहीं रखता है बल्कि यह उस सर्वर की इंफॉर्मेशन अपने पास रख सकता है जहां पर उस वेबसाइट का आईपी एड्रेस मिल जाएगा। यानी कि रूट सर्वर डायरेक्ट कनेक्टिविटी नहीं करता है बल्कि अगले सर्वर तक की इंफॉर्मेशन स्टोर करके रखता है।
तो रूट सर्वर हमारी रिक्वेस्ट को टॉप लेवल डोमेन सर्वर तक पहुंचा देता है यह टॉप लेवल डोमेन सर्वर आईपी ऐड्रेस के डोमेन नेम के हिसाब से रिकॉर्ड को ढूंढते हैं जैसे कि किसी भी नाम के पीछे लिखा हुआ .COM , .ORG , .IN आदि। उदाहरण के तौर पर अगर हमने knowledgeinhindi.com लिखा है तो टॉप लेवल डोमेन सर्वर हमें आगे ऐसे सर्वर से कनेक्ट करेगा जहां पर .com वाले डोमेन नेम मौजूद हो। लेकिन रूट सर्वर की तरह ही टॉप लेवल डोमेन सर्वर भी खुद किसी तरह का आईपी ऐड्रेस होल्ड नहीं करता है बल्कि अगले सर्वर की इंफॉर्मेशन होल्ड करके रखते हैं।
टॉप लेवल डोमेन सर्वर उस रिक्वेस्ट को आगे उचित Authoritative नेम सर्वर के पास भेज देते हैं। यह Authoritative नेम सर्वर वह सर्वर होता है जहां पर एक्चुअली हमारी वेबसाइट का नाम और उसका आईपी ऐड्रेस स्टोर होगा। हर Authoritative नेम सर्वर अलग तरह के डोमेन नेम वाले वेब साइट्स की इंफॉर्मेशन होल्ड करके रखता है जैसे कि .com के लिए एक बिल्कुल अलग Authoritative नेम सर्वर होगा तो .org के लिए कोई दूसरा Authoritative नेम सर्वर होगा। इस तरह से हर एक डोमेन नेम के लिए एक अलग Authoritative नेम सर्वर मौजूद होता है।
Authoritative नेम सर्वर रिजॉल्वर सर्वर को वेबसाइट का आईपी एड्रेस दे देगा और रिजॉल्वर सर्वर हमारे वेब ब्राउज़र को उस वेबसाइट से कनेक्ट कर देगा।

हालांकि इस पूरे प्रोसेस में चंद मिलीसेकेंड्स ही लगते हैं फिर भी इस पूरे प्रोसेस में मौजूद हर एक सर्वर उसके पास आई हर एक रिक्वेस्ट और डेस्टिनेशन की सारी जानकारी अपने पास सेव कर लेता है ताकि अगली बार उसी वेबसाइट तक जाने के लिए यह पूरा प्रोसेस रिपीट ना करना पड़े।
हम खुद से कोई डोमेन नेम नहीं बना सकते हे क्युकि अगर हर कोई अपना खुद का डोमेन नेम बनाने लगा तो बहुत सारे डोमेन नेम एक जैसे हो जायेगे, और फिर हम ऑनलाइन सर्च करके भी अपनी जरुरत वाली वेबसाइट पर कभी भी नहीं पहुंच पाएंगे। इसीलिए कुछ सिलेक्टेड डोमेन नेम सर्विस प्रोवाइडर कम्पनीज ही डोमेन नेम आपको दे सकती है। जहा पर अगर आपका suggest किया हुआ डोमेन नेम पहले से मौजूद है तो आप को कोई दूसरा नेम बनाना पड़ेगा। इस तरह एक ही नाम की कोई भी 2 वेबसाइट आपको कभी भी देखने को नहीं मिलेगी। कुछ न कुछ फ़र्क़ तो जरूर होगा।
आज के टाइम में मार्केट में कई सारी कम्पनीज मिल जाएगी जो आपको बहुत कम कीमत में अच्छा सा डोमेन नेम प्रोवाइड करवा सकती है। जैसे की Godaddy, Oracle, OpenDNS आदि।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको डीएनएस सर्वर के बारे में पूरी जानकारी मिल चुकी होगी। किसी भी तरह की query के लिए हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।