क्रिप्टोग्राफ़ी क्या है? | Cryptography in Hindi

Users के डेटा, Information तथा Communication को प्रोटेक्टेड रखने के एक method का प्रयोग किया जाता है जिसे क्रिप्टोग्राफ़ी कहा जाता है। इस तकनीक में डिजिटल डाटा को कोड में परिवर्तित कर दिया जाता जाता है। इसका कोड बहुत पेचीदा होता है, केवल डिक्रिप्शन की के मदद से ही हम एन्क्रिप्ट किये हुए डाटा को डिक्रिप्ट किया जा सकता है।

इस तकनीक की मदद से डिजिटल signature, बैंक या क्रेडिट कार्ड की जानकारी को सुरक्षित किया जाता है।

यदि आप बैंक से सम्बंधित इनफार्मेशन, मैसेज या अन्य महत्वपूर्ण इनफार्मेशन इंटरनेट की मदद से किसी और को भेजना चाहते हैं तो उस समय एक्टिव हैकर्स आपकी इनफार्मेशन को हैक कर उनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। परन्तु यदि यहाँ पर क्रिप्टोग्राफ़ी का उपयोग किया जाता है तो आपके मैसेज या इनफार्मेशन सिक्योर रहती है तथा हैक होने पर भी उसे कोई पढ़ या समझ नहीं पायेगा।

Cryptography in Hindi

क्रिप्टोग्राफ़ी की विशेषताएं (Features of Cryptography)

  • क्रिप्टोग्राफ़ी का मुख्य उद्देश्य इनफार्मेशन को सुरछित रखना।
  • क्रिप्टोग्राफ़ी मैसेज में किये unauthorised बदलाव का पता लगाकर डेटा की integrity को सुनिश्चित करता है।
  • क्रिप्टोग्राफ़ी सेन्डर और रिसीवर indentity को verify करता है।
  • इसमें न तो सेन्डर मैसेज सेंड करने से इंकार कर सकता और न ही रिसीवर मैसेज रिसीव करने से इंकार कर सकता है।
  • क्रिप्टोग्राफ़ी में एन्क्रिप्ट तथा डिक्रिप्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार की मैथेमैटिकल अल्गोरिथम का उपयोग किया जाता है जैसे की Symetric Key Cryptography, Asymetric Key Cryptography और Hash Function.

क्रिप्टोग्राफ़ी के प्रकार (Types of Cryptography)

क्रिप्टोग्राफ़ी मुख्यतः तीन प्रकार की होती है –

  • सीमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफ़ी (Symetric Key Cryptography)
  • हैश फंक्शन (Hash Function)
  • एसिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफ़ी (Asymetric Key Cryptography)

आइये इनके बारे में विस्तार से बात करे।

Symetric Key Cryptography

सीमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफ़ी में एन्क्रिप्शन तथा डिक्रिप्शन के लिए same key का प्रयोग किया जाता है। इसका मतलब डेटा को एन्क्रिप्ट तथा डिक्रिप्ट करने के लिए डेटा के सेन्डर तथा रिसीवर दोनों के पास एक ही key का access होना चाहिए। Symetric Key Cryptography बहुत efficient है परन्तु इसके लिए सेन्डर तथा रिसीवर दोनों के बीच key के एक्सचेंज की एक secure तकनीक की आवश्यकता होती है। इसमें डेटा या इनफार्मेशन को एक फॉर्मेट में बदल देने से किसी भी यूजर के लिए यह डेटा पढ़ना बहुत नामुनकिन हो जाता है। इस क्रिप्टोग्राफ़ी में बड़ी मात्रा में डेटा एक्सचेंज होता है।

Hash Function

हैश फंक्शन भी एक प्रकार की क्रिप्टोग्राफ़ी है जिसका उपयोग करके किसी भी साइज के इनपुट से एक फिक्स साइज के आउटपुट बनाकर डेटा की integrity को secure किया जाता है। यह एक मैथेमैटिकल फंक्शन है जिसे हैश Mathematical algorithm का उपयोग करके बनाया गया है। यह इनपुट डेटा लेकर एक अद्वितीय आउटपुट उत्पन्न करता है तथा इनपुट डेटा में कोई भी change होने पर एक अलग हैश बनता है।

हैश फंक्शन में कुछ महत्वपूर्ण गुण है जैसे की ऐसे दो अलग अलग इनपुट ढूंढना मुश्किल है जिनके एक ही हैश हो तथा ऐसा इनपुट ढूंढना मुश्किल है जो एक specific हैश produce करे।

हैश फंक्शन की secuirty आउटपुट के साइज तथा अल्गोरिथम के स्ट्रेंथ पर निर्भर करता है। इस फंक्शन का उपयोग इनफार्मेशन को सुरछित करने के लिए की जाता है।

Asymetric Key Cryptography

Asymetric Key Cryptography का दूसरा नाम Public Key Cryptography भी है। इसके secure communication तकनीक में दो अलग keys का उपयोग किया जाता है। जिसमे एक key का उपयोग एन्क्रिप्शन तथा दूसरी का उपयोग डिक्रिप्शन के लिए किया जाता है। इनमे एक key को public Key कहा जाता है जिसका उपयोग मैसेज को एन्क्रिप्ट करने के लीयते किया जाता है तथा दूसरी key को Private Key जिसका उपयोग मैसेज को डिक्रिप्ट करने के लिए किया जाता है। Public Key सार्वजनिक होती है जबकि Private Key इसके owner द्वारा सीक्रेट रखा जाना चाहिए।

Example: RSA, Elliptic Curve Cryptography और DSA etc.

हम आशा करते है की आपको Cryptography क्या है इस बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी। आपके कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट में लिखके बताये।

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