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ऑप्टिकल फाइबर क्या है – Optical Fiber in Hindi

क्या आपने कभी ये सोचा है की आज आप दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक डाटा इतनी आसानी और स्पीड के कैसे ट्रांसफर कर पाते है? नहीं ! तो जिनको नहीं पता उनकी जानकारी के लिए बता दूँ एक कोने से दूसरे कोने में डाटा ट्रांसफर करने के लिए एक केबल का प्रयोग किया जाता है जिसे ऑप्टिकल फाइबर केबल कहते है।

ऑप्टिकल फाइबर क्या है ?

ऑप्टिकल फाइबर क्या है इसका जवाब इसके नाम में  ही है। Optical का मतलब प्रकाश या light तथा fiber मतलब धागा या डोरा। ऑप्टिकल फाइबर एक प्लास्टिक या कांच की पतली तार होती है जिसमे लाइट का प्रयोग करके डाटा को बहुत तेज़ी से transmit किया जाता है। यह डाटा ट्रांसफर करते समय पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) के सिद्धांत पर काम करता है। ऑप्टिकल फाइबर में करंट की जगह प्रकाश की किरणों का इस्तेमाल इसलिए करते है क्युकी लाइट की स्पीड करंट से जयदा होती है। आपकी जानकारी के लिए बतादू लाइट तीन लाख / सेकुंड की स्पीड से डाटा ट्रांसफर करती है। यह किसी भी नेटवर्क की बैकबोन के रूप में काम करती है।

optical fiber

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Structure ऑफ़ ऑप्टिकल फाइबर

  1. Core: यह तार का का सबसे internal हिस्सा होता है। यह काँच का व दिखने में सिलिंड्रिकल tube की तरह होता है। इसी के अंदर लाइट डाटा के साथ प्रवाहित होती है। इसमें जितना ज्यादा स्पेस होगा उतना ही ज्यादा डाटा फाइबर के अंदर संचालित हो पायेगा। Core की लम्बाई व मोटाई आमतौर पे एक मानव के बाल की जितनी होती है।
  2. Cladding: कोर के ऊपर वाली परत को cladding के नाम से जाना जाता है। Light कोर के अंदर प्रसारित हो सके इसलिए cladding रिफ्लेक्शन पैदा करता है  जससे लाइट की तरंगे सीधी पास हो सके अगर cladding का प्रयोग नहीं करे तो light की तरंगे tube के बहार निकल सकती है। क्लाद्डिंग के लिए पहले  मॉम या पॉलिमर का इस्तेमाल करते थे।   सन 1956 में लावेरेन्स इ. ने गिलास क्लाद्डिंग की खोज करी जो की आगे जाकर ऑप्टिकल फाइबर में काम आयी।
  3. Kevlar: यह ऑप्टिकल फाइबर की कोर को डाटा ट्रांसफर होते समय जो दबाव व् heat पड़ती है उससे सुरक्षा प्रदान करता है।  यह एक strong सिंथेटिक फाइबर व heat resistance होता है जिसके कारन कोर पे  पड़ने वाली गर्मी से बचा लेता है।
  4. Outer Jacket: यह ऑप्टिक फाइबर की सबसे ऊपर वाली परत है। यह एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है जो ऑप्टिक केबल को बाहरी खतरों से सुरक्ष प्रदान करती है। यह मजबूत प्लास्टिक बनी होती है जिसके कारण यह बारिश, पानी से बिघने पर या electric shock से सुरक्षा देता है।

ऑप्टिक फाइबर

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History ऑफ़ ऑप्टिकल फाइबर केबल

  1. सबसे पहले सन 1840 में daniel colodon और jaques babinet दो physician ने ये prove किया की लाइट को पानी की धार से किसी भी दिशा में घुमा सकते है।
  2. सन 1840 में Alexender Gram Bell ने ऑप्टिकल टेलीफोन सिस्टम का अविष्कार किया जिसका नाम फोटोफोन रखा गया।
  3. Alexender Gram Bell के बाद सन 1930 में heinrich Lamm ने पहली बार एक लाइट image को optical fiber के द्वारा पास किया गया।
  4. फिर सन 1920 में Clarence Hansel ने गिलास की tube में तरंगो के माध्यम से image को हस्तांतरित किया गया।
  5. इसके बाद प्रगति होती गयी और इनका दायरा 10 km से 50 km फिर 50 km से 100 km और ऐसे ही बढ़ता चला गया। आज ऑप्टिकल फाइबर का दायरा इतना बड़ा इस्थापित हो चूका है की इसने पूरी दुनिया को ढक रखा है।

Also Read: ट्विस्टेड पेअर केबल क्या है?

ऑप्टिकल फाइबर कैसे काम करता है

जैसे की ऊपर आपने पढ़ा ऑप्टिकल फाइबर केबल में डाटा भेजने के लिए light का इस्तेमाल किया जाता है। जहा से डाटा भेजा जाता है वहा पर छोटे छोटे ट्रांसमीटर लगे होते है। ये ट्रांसमीटर डाटा को electronic pulse में बदल देता है और ऑप्टिकल फाइबर के दवारा एक सिरे से दूसरे सिरे तक लाइट के रूप में पोछता है। इसमें लगे ट्रांसमीटर इन electronic pulse को चेंज करके हमे जानकारी देता है।

ऑप्टिकल फाइबर के प्र्कार

ऑप्टिकल फाइबर स्ट्रेंथ और क्षमता के आधार पर बांटा जा सकता है।

स्ट्रेंथ के आधार पर

1. Loose Tube Cable

इस ऑप्टिकल केबल में Core की सुरक्षा के लिए विशेष तरह के जेल भरे होते है। यह जेल इसे टूटने के बचाते है अथवा जयदा तापमान बढ़ने के बाद कोर की सुरक्षा करते है।

2. Tight Tube Cable

यह loose Tube cable के मुकाबले जयदा strong होती है। ये दो परतो से मिलके बना हुआ है पहली परत में पॉलिमर का इस्तेमाल किया जाता है व दूसरी परत प्लास्टिक से बनी होती है। प्लास्टिक की बने होने के कारण इसमें टूटने का डर नहीं होता अगर ये मूड भी जाये तो कोई खतरा नहीं होता है।

क्षमता के आधार पर

1. सिंगल मोड ऑप्टिकल फाइबर

सिंगल मोड ऑप्टिकल फाइबर में light की सिंगल किरण दवारा डाटा ट्रांसफर किया जाता है। ज्यादा दुरी तक डाटा ट्रांसफर करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है अथवा ये डाटा को बहुत ज्यादा गति से ट्रांसफर करता है। इससे गुजरने वाली लाइट की wave length 1310 nm से 1550 nm होती है। इसमें डाटा का नुकसान होना ना के बराबर होता है।

2. मल्टी मोड ऑप्टिकल फाइबर

मल्टी मोड ऑप्टिकल फाइबर में लाइट की कई सारी rays के दवारा डाटा ट्रांसफर किया जाता है। इससे गुजरने वाली light का wave length 850 से 1300 nm तक होती है। इससे use कम दुरी तक डाटा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

ऑप्टिकल फाइबर के फायदे

  1. Light Weight: ऑप्टिकल फाइबर केबल एक तांबे के तार से भी पतली व उसके मुकाबले बहुत हलकी और लचीली होती है।
  2. High Bandwith: कॉपर वायर के मुकाबले इसकी bandwith काफी बड़ी होती है और इसकी वजह से इसमें डाटा बहुत स्पीड से ट्रांसफर होता है।
  3. Security : इसके through ट्रांसफर होने वाला डाटा इतने आसानी से hack नहीं किआ जा सकता है क्युकी इसमें कई जयदा सुरक्षा परते होती है और इसमें डाटा लाइट के रूप में ट्रांसफर होता है।
  4. Longer Distance: ऑप्टिकल फाइबर केबल दूसरी केबल जैसे coaxial केबल और twisted pair केबल के मुकाबले अधिक दुरी तक डाटा ट्रांसफर करने में सक्षम है।
  5. Low Power Loss: ऑप्टिकल फाइबर में पावर लोस्स न के बराबर होता है व डाटा लम्बी दुरी तक ट्रांसफर कर पता है और डाटा की स्पीड भी शेम रहती है।

ऑप्टिकल फाइबर के नुकसान

  1. Expensive to Install: फाइबर केबल तांबे की तार से थोड़ी सस्ती होती है मगर इसको install करने की लागत बहुत जयदा होती है।
  2. Expertise Required: इसे इनस्टॉल करने के लिए expert की जरुरत पड़ती है आम आदमी इसे इनस्टॉल नहीं कर पाता है इसमें क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहता है।
  3. Non – Repairable: अगर इस केबल में कभी कोई प्रॉब्लम आजाती है तो इसे रिपेयर करना बहुत हे मुक्शील है उसके लिए experienced कारीगर की जरुरत पड़ेगी।

निष्कर्ष

आशा है इस आर्टिकल को पढ़कर आपको मज़ा आया होगा। इस आर्टिकल में आपने जाना ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है, ये कितने प्रकार के होते है, ये कैसे काम करता है, व इसके फायदे और नुकसान। अगर आपका कोई सवाल है और अगर ये आर्टिकल आपको अच्छा लगा तव हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताये।

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